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Dhandha Chhota Hai Par Mera Hai

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काम तो बहुत हैं,
लेकिन लोग हंसेंगे ऐसा डर ना हो तो...

मैं भी बिजनेस करना चाहता हूं, लेकिन कहां से शुरू करूं? मैं अपनी नौकरी छोड़ने का जोखिम कैसे ऊठा सकता हूँ? यदि व्यवसाय नहीं चला तो मैं क्या करूँगा? मुझे पापा के बिजनेस में कोई रुचि नहीं है, मैं नया बिजनेस शुरू करना चाहता हूँ, लेकिन परिवार को कैसे मनाऊं?
Translated By Dr.Kiran Kaur S
 

Product Description

काम तो बहुत हैं,
लेकिन लोग हंसेंगे ऐसा डर ना हो तो...

मैं भी बिजनेस करना चाहता हूं, लेकिन कहां से शुरू करूं? मैं अपनी नौकरी छोड़ने का जोखिम कैसे ऊठा सकता हूँ? यदि व्यवसाय नहीं चला तो मैं क्या करूँगा? मुझे पापा के बिजनेस में कोई रुचि नहीं है, मैं नया बिजनेस शुरू करना चाहता हूँ, लेकिन परिवार को कैसे मनाऊं?
जो अपना खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं ऐसे युवाओं के मन में ऊठने वाले उपरोक्त सवालों का जवाब देने का प्रयास प्रस्तुत पुस्तक में किया गया है। पुस्तक “धंधा छोटा है पर मेरा है” में भारतीय युवाओं की सच्ची कहानीयाँ है, जिन्होंने छोटे पैमाने पर व्यवसाय शुरू किया और सफल हो गए।
ये प्रेरक युवा हमारी ही धरती से आते हैं, हमारी और इनकी ताकतें, समस्याएं और सीमाएं एक जैसी हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि सामान्य लोग समस्याओं को देख कर रुक जाते हैं, जबकि ये युवा समस्याओं से उबरकर जीवन में आगे बढ़ गए हैं। सरकारी नौकरी के लिए इंतज़ार करना अर्थहीन है और नौकरी में प्रमोशन की दौड़ में भागना भी व्यर्थ है। अगर आप अपनी ताकत और कौशल का उपयोग अपनी समृद्धि के लिए करना चाहते हैं तो यह पुस्तक आपकी मदद करेगी। यदि युवा सुरक्षित बड़ी नौकरी के बजाय अपना छोटा व्यवसाय स्थापित करने की दिशा में एक कदम भी बढ़ाते हैं, तो इस पुस्तक के पीछे का प्रयास सफल माना जाएगा।

कुलदीपसिंघ कलेर
(पॉजिटिव पाजी)

Additional information

Author Kuldipsingh Kaler
Language Hindi
Publisher Navbharat Sahitya Mandir
Publication Year 2024
Pages 160
Bound Paperback
ISBN 9789393237514
Edition First
Subject Motivational

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